सेवानिवृत्ती के कगार पर खड़े अध्यापको का रुका वेतन, शिक्षको ने लगाई गुहार
जौनपुर ब्यूरो ! जिले में मानव सम्पदा पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपडेशन के नाम पर रिटायरमेंट के करीब पहुंचे अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों का वेतन रोक दिया गया है। कई अध्यापक ऐसे है जिनकी सेवा कार्यकाल 2 से 3 वर्ष बची है और जिन्होंने वर्ष 1985 या उससे पहले जिले से अध्ययन किया है और अंकपत्र पोर्टल पर अपलोड करवा दिया था जिसका वारीफिकेशन भी हो गया पर अब उनसे 35 वर्ष पुरानी डिग्री इत्यादि मांगने के नाम पर दिसंबर माह का वेतन आहरण रोक दिया गया है। प्राप्त सूचना के अनुसार जौनपुर बेसिक शिक्षा कार्यालय से जनपद के तमाम सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के वरिष्ठ अध्यापको और कार्यवाहक प्रधानाध्यापको का दिसंबर माह से वेतन रोक दिया गया है और उनसे अंकपत्र अपलोड होने के बावजूद प्रमाण पत्र अपलोड करने को कहा जा रहा ऐसे में 40 साल पुराना सर्टिफिकेट प्राप्त करना टेड़ी खीर बनी हुई है। नियुक्ति के बाद अंकपत्र का वेरिफिकेशन हुआ जिसके बाद वेतन रोकना मानवता के विरुद्ध है। कई अध्यापको ने समचार पत्रों और न्यूज चैनलों से अपना दर्द बयां किया और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप करने कि अपील की है। उत्तर प्रदेश में जूनियर हाई स्कूल और प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत रिटायरमेंट के बेहद करीब अध्यापकों का वेतन दिसंबर माह का रोक दिया गया है। बीएसए कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करने हेतु उनसे 35 से 40 वर्ष पुरानी डिग्री और प्रोवाइजनल सर्टिफिकेट इत्यादि मांगा जा रहा। अब ऐसे में इतने वर्ष पुराने ऐसे सर्टिफिकेट गोरखपुर विश्वविद्यालय देने में आना-कानी कर रहा और तीन से छ माह का समय मांग रहा। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार बहुत सारे विश्वविद्यालयों ने वेरिफिकेशन के नाम पर ऐसी सर्टिफिकेट देने के नाम पर वहां के बाबुओं ने धन उगाही भी शुरू कर दी है। तो ऐसे में सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़े ऐसे बुजुर्ग अध्यापक 300 किलोमीटर दूर विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रहे जो बेहद खेदपूर्ण है।उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे मुद्दे पर सक्रियता दिखाए ताकि यह अध्यापक सकुशल अपनी सेवा पूर्ण कर सके। मिडिया से यह मुद्दा उठाया जा रहा की क्या यह उचित है कि आप अपडेशन के नाम पर वेतन आहरण रोक दे ऐसे में सम्बंधित भुखमरी के कगार पर आ जायेंगे। जो पूर्व सर्टिफिकेट अपलोड किए गए हैं उन्हें संज्ञान में लेकर ऐसे अध्यापको को जो सेवानिवृत्ति की कगार पर खड़े है,जिनकी सेवा अवधि 2 से 3 साल बची हुई है उनके वेतन आहरण संबंधी तमाम समस्याओं को ध्यान में रखा जाए। 35 साल पुराने सर्टिफिकेट वर्तमान समय में ले आना किसी चुनौती से कम नहीं। बहुत सारे विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं ऐसे में जनपद जौनपुर और वाराणसी में जिन्होंने वर्ष 1988 से पूर्व डिग्री हासिल की है उनकी डिग्री गोरखपुर विश्वविद्यालय में फंसी हुई है जिसे निकालना टेढ़ी खीर साबित हो रहा। ऐसे में मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करने हेतु डिग्री मांगी जा रही और यह कहकर जौनपुर बेसिक शिक्षा कार्यालय से ऐसे समस्त अध्यापकों का वेतन रोक दिया गया है। सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़े ऐसे अध्यापक जो 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं,अब गोरखपुर विश्वविद्यालय के चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं। सूबे के मुखिया और देश के पीएम ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए सारी सहूलियत देने का वादा किया जिस पर ऐसे निर्णय कुठाराघात साबित हो रहे हैं। दिसंबर माह से रुका है वेतन और अब जनवरी माह के वेतन पर भी तलवार लटकती दिखाई दे रही है। तो क्या शिक्षा विभाग ऐसे प्रकरणों को संज्ञान में लेकर ऐसे शिक्षकों के हित में उचित निर्णय लेगा।