साहित्य, कला, विज्ञान में विकलांगों का योगदान उल्लेखनीय – प्प्रो शिवकुमार
जौनपुर । वीकलांगों में जो कुछ कमियाँ रह जाती है प्रकृति या ईश्वर किसी न किसी रूप में उसकी भरपाई करने का प्रयास करती है। साहित्य, कला, विज्ञान सभी क्षेतों में विकलांगों ने उल्लेखनीय योगदान किया है। उक्त उदगार उमानाथ सिंह स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० शिवकुमार ने विकलांग पुनर्वास केन्द्र लाइन बाजार में आयोजित ‘समावेशी विकास हेतु परिवर्तन कारी समाधान विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विधान सभा, विधान परिषद, लोक सभा, राज्य सभा जैसी संस्था जगहों पर विकलांगों को प्रतिनिधित्व मिले तो वे वहाँ अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकते हैं। मुख्य अभ्यागत रहे पूर्व प्राचार्य डा० समरबहादुर सिंह ने कहा कि अपने ही जनपद के स्वामी रामभद्राचार्य ने बहीन होते हुए भी पूरे विश्व में कयाति अर्जित किया की है। सर्वोच्च न्याया- यालय में रामजन्मभूमि प्रकरण में भगवान राम के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देकर उन्होंने वहाँ के न्यायाधीशों को हतप्रभ कर दिया। तिलक- धारी महाविद्यालय में बी०ए० विभाग के अध्यक्ष डा० अजय दूबे ने विकलांगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रबुद्धजनों का आहवान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ५० रामकृष्ण लिपाठी ने ने पूरे विश्व में बढ़ रही विकलांगों की संख्या पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि इस समय विकलांगों की संख्या एक अरब पहुँच गयी है। यह हमारे लिए चुनौती है। उक्त अवसर पर कवायली डाए विभा तिवारी ने अपनी कविताओं से वाहवाही लूटी। संचालन कवि सभाजीत द्विवेदी प्रहार तथा आभार ज्ञापन डा० पी०पी० हुने ने किया/ कार्यक्रम में राजेन्द्र सिंह, दयाशंकर सिंह, आकाश, बेहोश जौनपुरी डा० पूजा सिंह, संध्या, विद्या आदि उपस्थित रहे।